
29 अप्रैल, सादा (यमन)
यमन के उत्तरी हिस्से में सोमवार को सादा में अमेरिकी हवाई हमले में एक डिटेंशन सेंटर पर 68 लोगों की जान चली गई। यह सेंटर अफ्रीकी अप्रवासियों को रखने का बनाया गया था। इस जेल में बताया जाता है 115 कैदे। इसमें अमेरिकी हमले में 47 लोग घायल भी हुए, जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। उनमें से कई घायल हैं और उनकी हालत गंभीर बताई जा रही है।
यमन की टीवी अल मसीरा ने हमले का एक वीडियो दिखाया है, जिसमें बमबारी के बाद डिटेंशन सेंटर का मलबा और उसमें पड़े शव दिखाई दे रहे हैं। सादा के जनरल रिपब्लिकन अस्पताल ने टेलीग्राम पर जानकारी दी कि दर्जनों लोगों की जान गई है और 50 से ज्यादा घायल अस्पताल में भर्ती हैं।
फिलहाल अमेरिकी सेना ने इस हमले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। हालांकि अमेरिकी सेंट्रल कमांड (CENTCOM) ने पहले ही कहा था कि वे अपने हवाई हमलों की जानकारी साझा नहीं करेंगे। उन्होंने बताया कि ऑपरेशन की सुरक्षा के लिए वे बहुत सीमित जानकारी ही सार्वजनिक करते हैं और यह नहीं बताएंगे कि उन्होंने क्या किया है या आगे क्या करने वाले हैं।
CENTCOM ने यह भी कहा कि 15 मार्च से उन्होंने यमन में हूती विद्रोहियों के खिलाफ एक बड़ा अभियान चलाया है ताकि समुद्री रास्तों को सुरक्षित कर सकें। इस अभियान के तहत अब तक 800 से अधिक हूती ठिकानों पर हमले किए गए हैं। इन हमलों में सैकड़ों हूती लड़ाके और कई बड़े नेता मारे गए हैं, जिनमें मिसाइल और ड्रोन प्रोग्राम्स से जुड़े वरिष्ठ लोग भी मारे गए हैं। साथ ही कमांड सेंटर, एयर डिफेंस सिस्टम, हथियारों के कारखाने और गोदाम भी नष्ट कर दिए गए हैं, जिनमें जहाजों पर हमला करने वाली मिसाइलें और ड्रोन रखे गए थे।
CENTCOM ने स्पष्ट रूप से कहा है कि जब तक हूती विद्रोही समुद्री रूटों पर बाधा डालकर रहेंगे, वे उन पर दबाव बनाए रखेंगे और उन्हें सupport करने वाले देशों को भी, जैसे ईरान, इसका जवाब देंगे। उन्होंने ऑपरेशन ‘रफ राइडर’ को एक प्रभावी सटीक खुफिया जानकारी पर आधारित अभियान बताया है, जिसका प्रयोजन हूती टुकड़े को तोड़ना है।
अमेरिका ने यमन में 15 मार्च को पहली बार हूती विद्रोहियों पर एयरस्ट्राइक की थी, जिसमें 31 लोगों की मौत हुई थी। इस हमले में महिलाएं और बच्चे भी मारे गए थे। इसके बाद से अमेरिका लगातार हूती ठिकानों पर हमले कर रहा है। करीब 10 दिन पहले तेल के बंदरगाह रास ईसा पर हुए हमले में 74 लोगों की मौत हुई थी।
दक्षिण-पश्चिम एशिया में यमन में साल 2014 से गृह युद्ध जारी है, जो शिया और सुन्नी मुस्लिम समुदायों के बीच विवाद के कारण प्रारंभ हुआ था। अरब क्रांता 2011 में होने के बाद यह विवाद गहरा हुआ और 2014 में शिया हूती विद्रोही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। अब्दरब्बू मंसूर हादी शुरुआत में इस सरकार का नेतृत्व कर रहे थे, जिन्होंने सत्ता 2012 में संभाली थी। हूती विद्रोहियों ने कुछ समय में ही देश का बड़ा हिस्सा कब्जा कर लिया और 2015 तक सरकार को देश छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया।
इस संघर्ष में शिया देश ईरान हूती विद्रोहियों का समर्थन कर रहा है, जबकि सुन्नी देश सऊदी अरब यमन की सरकार के साथ है। ईरान से लगातार मिल रहे समर्थन की वजह से हूती विद्रोही अब एक ताकतवर लड़ाकू समूह बन गए हैं, जिनके पास आधुनिक हथियार और यहां तक कि हेलिकॉप्टर भी हैं।